सुबह का अलार्म ..
माँ की आवाज ..
किनकिनाती चूड़ियां
कुकर की सिट्टीयां
मंदिर की सीढियां
रिक्शा के भोपू
स्कूल की घंटिया
पक्किवाली सहेलिया
होर्न वाली गाड़ियां
झगडालू बनिया
खांसती बुढिया
पीपल पे चिड़िया
रेल की पटरीया
पेडपर से अम्बिया
झूलेवाली मुनिया
बगीचे की भीड़ में खोयी हुई बच्चिया...
आँगन में बेहेन चुनती हवी चमेलिया
नानी की कहानी में परियों की बतिया
माँ की लोरिया....
वा! ज़िन्दगी वाह! ..क्या संगीत था तुझमें उन दिनों .....!!!
1 comment:
Loved it !!! Reminds me of Gulzar to an extent.
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