बारिश तो आ गयी ..वोही वो पहले वाली बारिश ....
लेकिन कागज की कश्तियाँ आज मिली नहीं ....
माँ से डांट खा कर भी उस वक़्त भीगा करते थे...
आज भी में भीगी लेकिन माँ ने डांटा नहीं ...तुम जो रहे नहीं .......
बारिश में भीगते हुए मुझपे छींटे उड़ना अच्छा लगता था तुम्हे ..
आज बारिश भी है छींटे भी है लेकिन तुम रहे नहीं ....
आज तो भीगने का मन नहीं था, सोचा था सुखालू सब कुछ
लेकिन भिगो दिया तुम्हारी यादों ने ..यादें तो है लेकिन उनमे भी तुम रहे नहीं
तुम्हारी यादेंभी अजीब है बिलकुल बारिश की तरह या फिर तुम्हारी तरह आती तो है बेवक्त बेहिसाब लेकिन रुकने का नाम नहीं... .
_अवंती
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